मुंबई धमाकों ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया... पर धमाके तो पहले भी हुए... कई घर पहले भी बर्बाद हुए... फिर देश अब क्यों ज्यादा हिला...? इस सवाल के अपने-अपने जवाब हैं. कोई कहता है कि इस बार मंज़र ज्यादा खतरनाक था, आंतक के साये कोई ६० घंटे से भी ज्यादा समय तक सिर पर मौत कि तरह नाचते रहे... कुछ कुछ यह भी सुनायी पड़ा है कानों में कि अबकि बार दहशत ने पढ़े लिखों को, उससे भी ज्यादा देश के '' क्रीम '' को शिकार बनाया... खैर! मौत तो मौत होती है... वह कफ़न खरीदने कि हैसियत देखकर नहीं आती... वह दबे पाँव आती है दरिन्दे चीते कि तरह और सीधे सब कुछ ख़त्म कर देती है... पिछले दिनों जब मुंबई में मौत रक्सां थी, कुछ सन्देश चले, बेहद दिल को छू लेने वाले॥ ऐसे ही एक सन्देश कि बानगी नीचे है...
वो बीस हजार कमाता था,
वो बीस हजार कमाता था,
घर पर राशन पानी लाता था।
जैसे तैसे भी करके वो,
घर का खर्च चलाता था।
आफिस से घर पर आ कर,
लड़के को रोज पढ़ाता था।
रात जब भी घिर आती,
लड़की को लोरी गा सुलाता था।
दिवाली पर पटाखे लाता,
बच्चों को मेला घुमाता।
आफिस से छुट्टी ले कर,
माँ-बाप को तीर्थ कराता।
एक रोज फिर से वो घर आया,
सबने उसको चादर में लिपटा पाया।
ना राशन पानी साथ में था,
ना बच्चों को वो बुला पाया।
एक धमाके ने घर की
सारी तस्वीर बदल रख डाली।
सुहाग किसी का लूटा,
और सारी खुशियाँ छीन डाली।
फिर घर में कुछ नेता आये,
झूठे आँसू आँख में लाये।
मीडिया का भी कैमरा चमका,
जिससे चैनल पे अपने,
वो ये मंजर दिखा पाये।
सरकार ने फिर वही काम किया,
हर मृतक को रूपया लाख दिया।
चंद वोट पाने की खातिर,
ढुलमुल नीति से काम लिया।
‘तरूण‘ सभी तब उग्र हुए,
कुछ ने दोनों के पक्ष लिये।
जो तन लागी वो ही जाने,
क्या जख्म मिले, क्या घाव सिये।
दिन बीते, फिर साल गये
वो बच्ची अब खुद सोती है।
अपने घर की हालत को देख,
वो लाश अभी तक रोती है।
16 टिप्पणियां:
I like you blog very much...
Nice blog...!
The Monster Look ©
very good...accha pryaas hai bhasha bhi sudhar rahi hai. lage raho
anurag tagde
naidunia indore
gr8 effort with beautiful feelings and admirable language.
Mansi
Acha laga padh kar. Nice pics to go with. Keep it up.
good keep it up.
acha likh rhe h. is bhane tum kalam ki dhar hum bhi dekh pa rhe h.
PTI jane k bad waise tumhare sabd ka sringar ab hme nhi dikhta.
BEST OF LUCK 4 UR NEW BLOG.
Very emotional
आपने बहुत अच्छा लिखा है ।
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लिए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com
बहुत भावभीनी रचना है।
आपका लेख पढ़कर हम और अन्य ब्लॉगर्स बार-बार तारीफ़ करना चाहेंगे पर ये वर्ड वेरिफिकेशन (Word Verification) बीच में दीवार बन जाता है.
आप यदि इसे कृपा करके हटा दें, तो हमारे लिए आपकी तारीफ़ करना आसान हो जायेगा.
इसके लिए आप अपने ब्लॉग के डैशबोर्ड (dashboard) में जाएँ, फ़िर settings, फ़िर comments, फ़िर { Show word verification for comments? } नीचे से तीसरा प्रश्न है ,
उसमें 'yes' पर tick है, उसे आप 'no' कर दें और नीचे का लाल बटन 'save settings' क्लिक कर दें. बस काम हो गया.
आप भी न, एकदम्मे स्मार्ट हो.
और भी खेल-तमाशे सीखें सिर्फ़ 'ब्लॉग्स पण्डित' पर.
बहुत बढियां। बधाई
हिन्दी ब्लॉगजगत के स्नेही परिवार में ब्लॉग का हार्दिक स्वागत करता है. इच्छा है कि आपका यह ब्लॉग सफलता की नई ऊँचाइ को छुए,प्रेरणादायी और लोकप्रिय बने.
शुभकामनाएं !!!!
प्रवीण त्रिवेदी / PRAVEEN TRIVEDI
प्राइमरी का मास्टर
मेरे रोंगटे खरे हो गये हैं आपकी कविता पर कर
सच में जब कोई अकालमृत्यु होती है तो परिवार पर जो बितति है वो भुक्तभोगी ही समझ सकते हैं
एक रोज फिर से वो घर आया,
सबने उसको चादर में लिपटा पाया।
ना राशन पानी साथ में था,
ना बच्चों को वो बुला पाया।
दिल को छू लेने वाले शब्द
आतंकवाद की त्रासदी झेलती रचना
हिन्दी चिठ्ठा विश्व में आपका हार्दिक स्वागत है, खूब लिखें… शुभकामनायें… एक अर्ज है कि कृपया वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें, टिप्पणी करने में रुकावट बनती है और इसकी कोई जरूरत भी नहीं है… धन्यवाद…
विभास जी , बढिया जा रहे है आप.
और लिखे..
कृपया मेरा भी ब्लाग देखे और टिप्पणी दे
http://www.ucohindi.co.nr
बहुत बढ़िया ऐसे ही लिखते रहें!
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